रायपुर :- छत्तीसगढ़ के कई ज़िलों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित की गई सामग्रियों की गुणवत्ता पर गंभीर शंकाएं खड़ी हो गई हैं। इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच के निर्देश दिए हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया है कि यदि कहीं भी अनियमितता या लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
घटिया सामान की आपूर्ति के आरोप
कुछ जिलों में वितरित सामग्रियों को लेकर आरोप सामने आए हैं कि उनकी गुणवत्ता निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतर रही। इन सामग्रियों में फर्नीचर, अनाज भंडारण ड्रम, बर्तन, सैनिटरी नैपकिन, वज़न मापने की मशीनें आदि शामिल हैं। मंत्री राजवाड़े ने 7 मई को ही विभागीय सचिव को जांच प्रारंभ करने का निर्देश दिया था और इसके बाद स्मरण पत्र जारी कर जांच प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण करने को कहा है।

उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन
मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। इस टीम में विभाग के संयुक्त संचालक (वित्त), प्रबंध संचालक – सीएसआईडीसी, शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर के तकनीकी विशेषज्ञ, संबंधित जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी, आईसीडीएस के सहायक संचालक, और दो निजी तकनीकी संस्थानों — IR Class Systems & Solutions Pvt. Ltd. एवं SGS India Pvt. Ltd. के प्रतिनिधि शामिल हैं।
जांच के दायरे में आए छह जिले
इस जांच का दायरा छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, जशपुर और सरगुजा ज़िलों तक फैला हुआ है। यहां की आंगनबाड़ी इकाइयों में लगभग ₹40 करोड़ की लागत से खरीदी गई सामग्री की गुणवत्ता और उपयुक्तता की परख की जाएगी। जांच टीम न केवल सामग्रियों की भौतिक स्थिति, वजन और पैकेजिंग की जांच करेगी, बल्कि उनके नमूने लेकर मान्यता प्राप्त सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण भी कराएगी।

15 दिनों में रिपोर्ट की मांग
हाल ही में सूरजपुर में आयोजित वन नेशन वन इलेक्शन बैठक के दौरान मंत्री राजवाड़े ने जानकारी दी कि जांच समिति को पंद्रह दिनों के भीतर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर यदि किसी स्तर पर भ्रष्टाचार या घोर लापरवाही सिद्ध होती है, तो संबंधित लोगों पर कड़ी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।